हिन्दी के प्रबल योद्धा और हिन्दी साहित्य सम्मेलन, इलाहाबाद के संस्थापक राजर्षि टंडन की स्मृति में श्री पुरुषोत्तम हिन्दी भवन न्यास समिति प्रतिवर्ष राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन जयंती का आयोजन करती रहती है। राजधानी का यह हिन्दी भवन टंडनजी का स्मारक है। सन 1998 में हिन्दी के विनम्र आराधक, स्वतंत्रता सेनानी, राष्ट्रवादी पत्रकार और पंजाब के हिन्दीसेवी स्व. पं. भीमसेन विद्यालंकार की जीवनसंगिनी श्रीमती वेदकुमारीजी ने श्री पुरुषोत्तम हिन्दी भवन न्यास समिति के संस्थापक मंत्री पं. गोपालप्रसाद व्यास के सम्मुख एक प्रस्ताव रखा कि राजर्षि टंडन की प्रेरणा से उनके पति पं. भीमसेन विद्यालंकार ने पंजाब में हिन्दी साहित्य सम्मेलन के माध्यम से राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में अहम भूमिका निभाई थी, इसलिए उनके परिवार की हार्दिक इच्छा है कि राजर्षि टंडन जयंती के अवसर पर पं. भीमसेन विद्यालंकार की स्मृति में ‘हिन्दीरत्न सम्मान’ एवं पुरस्कार का शुभारंभ किया जाए। यह सम्मान किसी ऐसे हिन्दीसेवी को प्रतिवर्ष प्रदान किया जाए जो अहिन्दीभाषी हो और उसने हिन्दी भाषा और साहित्य की उल्लेखनीय सेवा की हो। हिन्दी भवन के संस्थापक मंत्री पं. गोपालप्रसाद व्यास को यह प्रस्ताव जँच गया। न्यास समिति में चर्चा हुई और ‘हिन्दीरत्न सम्मान’ प्रदान करने का सर्वसम्मति से निर्णय ले लिया गया। इस प्रकार राजर्षि टंडन जयंती पर 1 अगस्त, 1998 से ‘हिन्दीरत्न सम्मान’ की शुरुआत हो गई।
सन् 1998 से आरम्भ हुआ यह पुरस्कार अभी तक तमिल, कन्नड़, मणिपुरी, तेलुगू, कश्मीरी, पंजाबी, डोगरी, मलयालम, गुजराती, सिंधी, मराठी आदि भारतीय भाषाओं के विद्वानों के साथ-साथ जापानी, मॉरीशस-क्रियोल आदि विदेशी भाषाओं के विद्वानों को भी दिया गया है जिन्होंने हिन्दी के प्रचार-प्रसार में उल्लेखनीय योगदान दिया। सन् 2018 से इस सम्मान के स्वरूप में परिवर्तन करते हुए इसमें हिन्दी पत्रकारिता और अन्य विधाओं को भी सम्मिलित किया गया है।
इस सम्मान के अंतर्गत एक लाख ग्यारह हजार रुपये की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा, प्रशस्ति-पत्र, श्रीफल एवं शॉल आदि से हिन्दीसेवी को सम्मानित किया जाता है।