हिन्दी भारती है।
हिंदी भाषा ही नहीं, वाणी है।
हिंदी संस्कृति है।
हिंदी भारत राष्ट्र के हृदय की धड़कन है।
हिंदी जन-जागरण का जय-निनाद है। हिंदी राष्ट्रीय एकता की संवाहिका है।
हिंदी भारत के संविधान में राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठापित है।
हिन्दी के अतिरिक्त भारत में अनेक समृद्ध और सुसंस्कृत भाषाएं हैं।
1960 में हिन्दी के महाप्राण राजर्षि श्री पुरुषोत्तमदास टंडन के सम्मान में दिल्ली हिन्दी साहित्य सम्मेलन ने एक अभिनंदन ग्रंथ प्रस्तुत करने का निर्णय लिया। अभिनन्दन ग्रन्थ समिति का नेतृत्व तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री ने किया, जबकि पंडित गोपालप्रसाद व्यास ने ग्रन्थ को संपादित करने की जिम्मेदारी उठाई।
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