हिंदी भवन

हमारे बारे में

हिन्दी भारती है।
हिंदी भाषा ही नहीं, वाणी है।
हिंदी संस्कृति है।
हिंदी भारत राष्ट्र के हृदय की धड़कन है।
हिंदी जन-जागरण का जय-निनाद है। हिंदी राष्ट्रीय एकता की संवाहिका है।
हिंदी भारत के संविधान में राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठापित है।
हिन्दी के अतिरिक्त भारत में अनेक समृद्ध और सुसंस्कृत भाषाएं हैं।

1960 में हिन्दी के महाप्राण राजर्षि श्री पुरुषोत्तमदास टंडन के सम्मान में दिल्ली हिन्दी साहित्य सम्मेलन ने एक अभिनंदन ग्रंथ प्रस्तुत करने का निर्णय लिया। अभिनन्दन ग्रन्थ समिति का नेतृत्व तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री ने किया, जबकि पंडित गोपालप्रसाद व्यास ने ग्रन्थ को संपादित करने की जिम्मेदारी उठाई।

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संस्थापक

राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन
प्रेरणास्रोत
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श्री लाल बहादुर शास्त्री
संस्थापक अध्यक्ष
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श्री गोपाल प्रसाद व्यास
संस्थापक मंत्री
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न्यासी मंडल

विविध कार्यक्रम

सभागार एवं संगोष्ठी कक्ष

धर्मवीर संगोष्ठी कक्ष

हिन्दी भवन के आधारस्तंभ एवं पूर्व अध्यक्ष श्री धर्मवीर (आई.सी.एस.)की स्मृति में एक संगोष्ठी कक्ष की स्थापना हिन्दी भवन के तृतीय तल पर की गई है।

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हिन्दी भवन सभागार

हिन्दी भवन के प्रथम तल पर पूर्णतः वातानुकूलित एक भव्य सभागार है। इस सभागार में बालकनी सहित कुल 274 आरामदेह कुर्सियां लगी हैं।

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पुस्तकालय

संदर्भ एवं शोध कक्ष