सांप, दो – दो जीभें होने पर भी भाषण नहीं देते ? आदमी न होकर भी पेट के बल चलते हो यार ! हम तुम्हारे फूत्कार से नहीं डरते सांप ही तो हो, भारत के रहनुमा तो नहीं हो !
(‘हास्य सागर’ से, सन् 1996)