श्री राधागोविंद थोंङाम

‘हिन्दी भवन’ द्वारा आयोजित राजर्षि टंडन की 119वीं जयंती के सुअवसर पर मणिपुरीभाषी एवं पूर्वोत्तर भारत में हिन्दी-चेतना के उन्नायक श्री राधागोविंद थोंङाम को तीसरे पंडित भीमसेन विद्यालंकार स्मृति ‘ हिन्दीरत्न सम्मान’ से विभूषित किया गया। समारोह के अतिथि वरिष्ठ सांसद डॉ. विजयकुमार मल्होत्रा ने श्री राधागोविंदजी को प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया और पंडित भीमसेन विद्यालंकार की साध्वी पत्नी श्रीमती वेदकुमारीजी ने सम्मान राशि भेंट की। हिन्दी के वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेदप्रताप वैदिक ने उन्हें सरस्वती की चांदी की प्रतिमा प्रदान की। डॉ. वैदिक के अतिरिक्त समारोह के विशिष्ट वक्ता थे हिन्दी के प्रतिष्ठित प्रकाशक और राजपाल एंड संस के संचालक श्री विश्वनाथ एवं हिन्दी भवन के आजीवन न्यासी और समाजसेवी श्री सत्यनारायण बंसल। समारोह का शुभारंभ ‘स्वरांजलि’ के कलाकारों द्वारा राष्ट्र-वंदना से किया गया। समारोह का संचालन श्री देवराजेन्द्र ने किया।

हिन्दीरत्न श्री राधागोविन्द थोंङाम का संक्षिप्त परिचय

मणिपुरीभाषी आचार्य राधागोविन्द थोंङाम पूर्वोत्तर भारत में हिन्दी के उन्नायक के रूप में समादृत किए जाते हैं। मणिपुरीभाषी होते हुए भी आचार्यजी का समग्र चिंतन साधिकार रूप से सन्‌ 1960 से हिन्दी में ही अधिक प्रकट हुआ है। सन्‌ 1962 में ‘भारत प्रहरी’ से कविता लेखन-यात्रा शुरू की। यह कविता 1964 में बम्बई विद्यापीठ की मुख्य पत्रिका ‘भारती’ में प्रकाशित हुई। इसी वर्ष ‘धर्मयुग’ में कई लेख तथा नृत्यगुरु नवकुमार ठाकुर का संस्मरण ‘स्मृति रूप में पड़ा ‘ का हिन्दी अनुवाद प्रकाशित हुआ। तब से हिन्दी में बराबर लेख, कविता, संस्मरण, कहानी लिख रहे हैं। मणिपुर में 1976 से ‘हिन्दी शिक्षक दीप’ से आपने हिन्दी-पत्रकारिता प्रारंभ की।

हिन्दी-शिक्षण और हिन्दी के प्रचार-प्रसार में योगदान

• 1965 से 76 तक राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा की मणिपुर प्रांतीय शाखा ‘मणिपुर राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, पाओना बाजार’ से संबद्ध।

• 1976-1991 में मणिपुर परिषद के साहित्य मंत्री, प्रचार मंत्री तथा संपादक रहे। मणिपुर, बराक उपत्यका तथा त्रिपुरा में हिन्दी प्रचार केन्द्र खुलवाए।

• 1967-68 से आपने पूर्वोतर में उच्चतम स्तर पर हिन्दी-शिक्षण की व्यवस्था के लिए और विश्वविद्यालयों में हिन्दी विभाग खुलवाने के लिए केन्द्र सरकार और हिन्दी-सेवकों से भी संपर्क किया। फलस्वरूप 1968-69 में गुवाहटी विश्वविद्यालय, 1977-78 में मणिपुर विश्वविद्यालय और 1990-91 में डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग खुले।

• 1970-71 में केन्द्र सरकार तथा डॉ. ब्रजेश्वर वर्मा से संपर्क कर पूर्वोत्तर भारत के लिए गुवाहटी में केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय की शाखा खुलवाई।

• 1989 से 92 तक भारत सरकार के सूचना व प्रसारण मंत्रालय के फिल्म प्रभाग द्वारा हिन्दी की वाणी, देश की वाणी, जयहिन्दी, पूर्वाजनि तथा मणिपुर गाथा आदि 17 हिन्दी वृत्तचित्र बनवाए जो दूरदर्शन पर प्रसारित हुए।