राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन की 137वीं जयंती के अवसर पर प्रख्यात पत्रकार पंडित भीमसेन विद्यालंकार की स्मृति में प्रतिवर्ष हिन्दी भवन द्वारा दिया जाने वाला ‘हिन्दीरत्न’ सम्मान हिन्दी समांतर कोश के रचयिता एवं सुप्रसिद्ध हिन्दी पत्रकार श्री अरविन्द कुमार को उनकी दीर्घकालीन हिन्दी सेवा के लिए हिन्दी भवन सभागार में एक भव्य समारोह में प्रदान किया गया।
यह सम्मान कर्नाटक के पूर्व राज्यपाल एवं हिन्दी भवन के अध्यक्ष श्री त्रिलोकीनाथ चतुर्वेदी, वरिष्ठ साहित्यकार श्री बालस्वरूप राही, पूर्व राजभाषा अधिकारी श्री विजयकुमार मल्होत्रा, टंडनजी के पौत्र डॉ. राकेश टंडन, हिन्दी भवन के मंत्री डॉ. गोविन्द व्यास, हिन्दी भवन के कोषाध्यक्ष श्री हरीशंकर बर्मन तथा हिन्दी भवन के न्यासी श्री महेशचन्द्र शर्मा एवं श्रीमती इन्दिरा मोहन ने क्रमशः भेंट किया। सम्मान स्वरूप उन्हें रजत श्रीफल, शॉल, सरस्वती प्रतिमा, प्रशस्ति पत्र एवं एक लाख रुपये की सम्मान राशि प्रदान की गई।
डॉ. राकेश टंडन ने श्री अरविन्द कुमार को हिन्दीरत्न से सम्मानित होने पर बधाई देते हुए राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडनजी से संबंधित अनेक संस्मरण सुनाए।
पर्यावरण एवं वन्यजीवन (एनवायरमेंट एंड वाईल्ड लाईफ) पर वृत्तचित्र बनाने वाले श्री माइक पाण्डेय ने श्री अरविन्द कुमार को हिन्दीरत्न बनने की बधाई देते हुए उन पर बन रही फ़िल्म के विषय में सभी को जानकारी दी।
श्री विजय कुमार मल्होत्रा ने समांतर कोश और थिसारस के विषय में बताते हुए कहा कि अरविन्द कुमारजी का काम बहुत बड़ा काम है। उन्होंने ‘निघण्टु’ पुराण का वर्णन करते हुए कहा कि अरविन्दजी ने ‘अमरकोश’ को पढ़कर ‘समांतर कोश’ का काम शुरू किया। समांतर कोश गागर में सागर है।
श्री अरविन्द कुमार ने ‘हिन्दीरत्न’ से सम्मानित करने पर हिन्दी भवन का आभार व्यक्त किया। उन्होंने हिन्दी के इतिहास की महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए कहा कि हिन्दी का भविष्य उज्ज्वल है। श्री बालस्वरूप राही ने अरविन्द कुमारजी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जमीन से आसमान तक पहुंचने वाले अरविन्दजी मेरे लड़कपन के साथी हैं। उन्होंने अरविन्दजी से सम्बन्धित अपने अनेकों संस्मरण सुनाए।
अंत में वरिष्ठ व्यंग्यकार एवं हिन्दी भवन के मंत्री डॉ. गोविन्द व्यास ने सभी आगंतुकों का धन्यवाद किया। इस अवसर पर सुप्रसिद्ध गीतकार श्री गोपालदास नीरज के निधन पर दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। मंच का कुशल संचालन श्रीमती सरला माहेश्वरी ने किया।
समारोह में साहित्यकार, पत्रकार एवं हिन्दीप्रेमी काफी संख्या में मौजूद थे। जिनमें प्रमुख हैं सर्वश्री सुरेन्द्र शर्मा, शेरजंग गर्ग, बी0 एल0 गौड़, किशोरकुमार कौशल, निधि गुप्ता, सुशीलकुमार गोयल, ईश्वरचन्द्र अग्रवाल, रामपाल विद्यालंकार, अनिल भल्ला, गिरीश भालवर, विजय मोहन, पुष्पा राही, उपेन्द्र कुमार, मुध गुप्ता, अतुल प्रभाकर, कुसुम कुमार, मीतालाल, सुनील चोपड़ा, जी0 सी0 मिश्रा, प्रभात कुमार, संतोष माटा, अशोक वशिष्ठ, दिलीप गोंडवी, लक्ष्मीशंकर वाजपेयी, ममता किरण आदि।