नई दिल्ली। व्यंग्य-विनोद के शीर्षस्थ रचनाकार, वाचिक परंपरा के उन्नायक, अपने समय के प्रतिष्ठित पत्रकार, ब्रज साहित्य के मर्मज्ञ, हिन्दी भवन के संस्थापक एवं हिन्दीसेवी पं. गोपालप्रसाद व्यास की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित ‘व्यंग्यश्री सम्मान’ राजधानी के लेखकों, पत्रकारों और राज-समाज सेवियों के बीच सुपरिचित व्यंग्यकार श्री गिरीश पंकज को प्रदान किया गया।
इस बाइसवें व्यंग्यश्री सम्मान से श्री गिरीश पंकज को वरिष्ठ व्यंग्यकार श्री गोपाल चतुर्वेदी, डॉ. शेरजंग गर्ग, डॉ. प्रेम जनमेजय, डॉ. हरीश नवल हिन्दी भवन के अध्यक्ष श्री त्रिलोकीनाथ चतुर्वेदी, वरिष्ठ व्यंग्य कवि एवं हिन्दी भवन के मंत्री डॉ. गोविन्द व्यास, हिन्दी भवन के न्यासी श्री हरीशंकर बर्मन एवं सुश्री निधि गुप्ता ने क्रमशः रजत श्रीफल, प्रशस्ति पत्र, शॉल, पुष्पहार, वाग्देवी की प्रतिमा, व्यास स्मृति चिह्न और एक लाख ग्याहर हजार एक सौ ग्यारह रुपये की राशि देकर विभूषित किया।
श्री गिरीश पंकज ने पंडित गोपालप्रसाद व्यास को स्मरण करते हुए तथा व्यंग्यश्री सम्मान के लिए हिन्दी भवन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि व्यंग्य का सबसे बड़ा सम्मान व्यंग्य के सबसे छोटे व्यंग्यकार को मिल रहा है। जिसको मिल गई ‘व्यंग्यश्री’ वह क्यों चाहेगा ‘पद्मश्री’। उन्होंने अपनी दो व्यंग्य रचनाओं का पाठ भी किया।
प्रथम व्यंग्यश्री सम्मान से विभूषित वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शेरजंग गर्ग सहित मंच पर आसीन सभी व्यंग्यश्री सम्मान से सम्मानित अतिथियों ने पं. गोपालप्रसाद व्यासजी का स्मरण करते हुए उनसे जुड़े अनेकों रोचक संस्मरण सुनाएं तथा अपने-अपने व्यंग्य लेखों का पाठ भी किया।
श्री त्रिलोकीनाथ चतुर्वेदी के सान्निध्य में आयोजित इस समारोह का कुशल संचालन श्री आलोक पुराणिक ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन हिन्दी भवन के प्रबंधक श्री सपन भट्टाचार्य ने किया। इस अवसर पर राजधानी के साहित्यकार, पत्रकार, हिन्दीसेवी एवं राज-समाजसेवी काफी संख्या में उपस्थित थे।