‘व्यंग्यश्री सम्मान’ 2008 – श्री विष्णु नागर

हिन्दी व्यंग्य-विनोद के यशस्वी रचनाकार स्व. पं. गोपालप्रसाद व्यास के जन्म-दिवस पर दिए जाने वाला बारहवां ‘व्यंग्यश्री’ सम्मान-2008 कवि, लेखक एवं पत्रकार श्री विष्णु नागर को उनके सतत् और उत्कृष्ट व्यंग्य लेखन के लिए प्रदान किया गया। सम्मान के अंतर्गत श्री विष्णु नागर को इकत्तीस हजार रुपये की नकद राशि के साथ-साथ प्रशस्ति-पत्र, रजत श्रीफल, वाग्देवी की प्रतिमा, शाल और पुष्पहार भेंट किया गया।

हिन्दी भवन सभागार में आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि श्री कुंवर नारायण ने कहा-”व्यंग्य लेखन एक गंभीर रचनाकर्म और कला है। हास्य-व्यंग्य मनुष्य की आदिम प्रवृत्ति है। संस्कृत एवं लोक साहित्य में हास्य-व्यंग्य समृद्ध रूप में मौजूद है। इसकी मनोवैज्ञानिक जड़ें बहुत गहरी हैं। यह मनुष्य को तनाव-मुक्त तो करता ही है, उसके चरित्र को भी सुधारता है।” व्यंग्यश्री से सम्मानित विष्णु नागर ने इस अवसर पर ‘ईश्वर की कहानियां’ संग्रह से चुनिंदा रचनाओं का पाठ किया। समारोह के अध्यक्ष डॉ. विश्वनाथ त्रिपाठी ने कहा-”विष्णु नागर ने अपने व्यंग्य लेखन से सत्ता प्रतिष्ठान पर निर्भीकता से प्रहार किए हैं।” 14 जून, 1950 को जन्मे श्री विष्णु नागर के अब तक पांच व्यंग्य-संग्रह ‘घोड़ा और घास’, ‘राष्ट्रीय नाक’, ‘जीव-जंतु पुराण’, ‘नई जनता आ चुकी है’ तथा ‘देश सेवा का धंधा’ और एक व्यंग्य उपन्यास ‘आदमी स्वर्ग में’ प्रकाशित हो चुके हैं। हिन्दी की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘आउटलुक’ के एक सर्वेक्षण में उन्हें हिन्दी के दस लोकप्रिय लेखकों में बताया गया है।

हिन्दी भवन के अध्यक्ष श्री त्रिलोकीनाथ चतुर्वेदी ने समारोह में उपस्थित अतिथियों और श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापन किया। समारोह के प्रारंभ में हिन्दी भवन के मंत्री डॉ. गोविन्द व्यास ने व्यंग्यश्री सम्मान पर प्रकाश डालते हुए अतिथियों का स्वागत किया। समारोह का कुशल संचालन किया प्रख्यात व्यंग्यकार डॉ. शेरजंग गर्ग ने।