‘राग दरबारी’ जैसा कालजयी व्यंग्य-उपन्यास लिखकर हिन्दी-व्यंग्य को नई ऊंचाइयां प्रदान करने वाले व्यंग्यकार श्री श्रीलाल शुक्ल को तीसरे ‘व्यंग्यश्री सम्मान’ से नवाज़ा गया। 31 दिसम्बर, 1925 को उत्तरप्रदेश के लखनऊ जिले के गांव अतरौली में जन्मे श्री शुक्ल की चर्चित कृतियां हैं- ‘सूनी घाटी का सूरज’, ‘अज्ञातवास’, ‘राग दरबारी’, ‘सीमाएं टूटती हैं’, ‘मकान’, ‘पहला पड़ाव’, ‘विस्रामपुर का संत’ (उपन्यास) ‘अंगद का पांव’, ‘यहां से वहां’, ‘उमराव नगर में कुछ दिन’, ‘कुछ ज़मीन पर-कुछ हवा में’ (हास्य-व्यंग्य)। ‘व्यंग्यश्री सम्मान’ समारोह-1999 का उदघाटन पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकरदयाल शर्मा ने किया। सर्वश्री राजेन्द्र यादव, मनोहरश्याम जोशी, रवीन्द्र वर्मा, अलका पाठक और डॉ. हरीश नवल की उपस्थिति उल्लेखनीय थी। समारोह की अध्यक्षता की वरिष्ठ साहित्यकार श्री भीष्म साहनी ने। समारोह का संचालन श्री देवराजेन्द्र ने किया।