रमानाथ अवस्थी

हिन्दी के वरिष्ठ एवं सुपरिचित गीतकार श्री रमानाथ अवस्थी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए हिन्दी भवन में 3 जुलाई, 2002 को एक स्मृति सभा का आयोजन किया गया। जिसमें राजधानी के अनेक साहित्यकार, पत्रकार एवं कविताप्रेमी एकत्र हुए।

हिन्दी भवन में आयोजित इस स्मृति सभा में प्रभाकिरण जैन ने स्व. अवस्थीजी का जीवन परिचय दिया। इसके बाद वरिष्ठ साहित्यकार पं. गोपालप्रसाद व्यास का संवेदना संदेश पढ़कर सुनाया गया- “हमारी हिन्दी के सुप्रसिद्ध गीतकार रमानाथजी गए। हिन्दी के उपवन का सुरभित सुमन प्रभु ने अपने नंदनकानन में बुला लिया। हिन्दी-गीत उद्यान सूना हो गया। परंतु नंदनकानन सुवासित हो उठा। होनहार भावी बलवाना। प्रभु उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें। हिन्दी के गीतकारों से मेरी अपेक्षा है कि वे रमानाथजी की गीत-परंपरा को गति प्रदान करते रहेंगे। रमानाथजी हमारे बीच न रहे हों, लेकिन उनके गीत सदा रहेंगे, जो उनकी स्मृति को अमर बनाए रखेंगे।” डॉ. शेरजंग गर्ग द्वारा संचालित इस शोकसभा में साहित्यकार रमानाथ अवस्थीजी के चित्र के निकट आते गए, पुष्प अर्पित करते गए और अनेक आत्मीयजनों ने अपने शब्द सुमन भी अर्पित किए।

सर्वश्री कन्हैयालाल नंदन और राजनारायण बिसारिया ने अवस्थीजी से अपने आत्मीय संबंधों की चर्चा की। सर्वश्री गंगाप्रसाद विमल, अशोक चक्रधर, सरोजिनी प्रीतम, इन्दिरा मोहन, मधुर शास्त्री, रमा सिंह, रामकुमार कृषक, वीरेन्द्र प्रभाकर, हरीसिंह पाल, महेशचंद्र शर्मा, नीलम वर्मा, सुरेन्द्र सुमन, असीम शुक्ल, किशोरकुमार कौशल आदि ने रमानाथजी के व्यक्तित्व के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डाला। इसके अलावा सभा में सर्वश्री राधेश्याम तिवारी, गंगेश गुंजन, सुरेश उनियाल, विश्वनाथ मिश्र, उपेन्द्र मिश्र, श्यामसुंदर गुप्ता, पुरुषोत्तम वज्र, अल्हड़ बीकानेरी, राजेश जैन चेतन, वीरेन्द्र जैन आदि साहित्यकार उपस्थित थे।