धर्मवीर (आई.सी.एस)

हिन्दी भवन के तत्वावधान में श्री पुरुषोत्तम हिन्दी भवन न्यास समिति के अध्यक्ष, कुशल प्रशासक और राज-समाजसेवी धर्मवीर (आई.सी.एस) की स्मृति में 19 सितम्बर, 2000 को एक सभा का आयोजन किया गया। स्मृति सभा में अनेक साहित्यकारों, पत्रकारों, बुद्धिजीवियों, हिन्दी भवन के न्यासियों और धर्मवीरजी के प्रशंसकों ने उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

हिन्दी भवन के संस्थापक मंत्री पं. गोपालप्रसाद व्यास ने भावुक होकर धर्मवीरजी को याद किया और कहा- “धर्मवीरजी मेरे बड़े भाई के समान थे। उनकी मुझ पर हमेशा कृपादृष्टि बनी रही। वे बड़े कर्मठ थे। हिन्दी भवन के लिए उन्होंने जितना किया उतना किसी ने भी नहीं किया। सच कहूं तो, यदि धर्मवीरजी न होते तो दिल्ली में हिन्दी भवन नहीं बन पाता। धर्मवीरजी ने हिन्दी भवन की भूमि पर जो कब्जा 19 साल तक नहीं मिल पाया था, उसे रातों-रात दिलवा दिया। लालबहादुर शास्त्री यदि हिन्दी भवन के संस्थापक अध्यक्ष थे तो शास्त्रीजी की तरह ही छोटे कद के धर्मवीरजी हिन्दी भवन के निर्माता अध्यक्ष थे। उनके चले जाने से मैं स्वयं को अनाथ अनुभव कर रहा हूं। धर्मवीरजी को जब भी यह पता लगता कि मैं अस्वस्थ हूं तो वे मेरे घर दौड़े चले आते और हालचाल ही नहीं पूछते, मेरी जरूरतें पूछकर उन्हें पूरा भी करते। धर्मवीरजी मेरी स्मृति में हमेशा बने रहेंगे।”

हिन्दी भवन न्यासी मंडल के आजीवन न्यासी श्री रामनिवास लखोटिया ने धर्मवीरजी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वह हम सब लोगों के मार्गदर्शक थे। उनके व्यक्तित्व में एक ऐसा आकर्षण था कि हर कोई उनकी ओर खिंचा चला आता था। हिन्दी भवन की हर बैठक में वह समय से पांच मिनट पहले उपस्थित हो जाते थे और कोई आए या ना आए नियत समय पर बैठक शुरू करा देते थे। सुझाव वह सबके सुनते थे, लेकिन अंतिम निर्णय उनका ही होता था। धर्मवीरजी के न रहने पर हिन्दी भवन की अपूरणीय क्षति हुई है। उन्हें मेरी हार्दिक श्रद्धांजलि।

हिन्दी भवन की न्यासी और धर्मवीरजी की बहन श्रीमती सुमित्रा चरतराम तो इतनी भावुक होगईं की कुछ बोल न सकीं। उनका कंठ अवरुद्ध हो गया। धर्मवीरजी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए सुमित्राजी फूट-फूटकर रो पड़ीं।

सर्वश्री सत्यनारायण बंसल, जयनारायण खण्डेलवाल, इंदु गुप्ता, विद्याराम वैश, गोविन्द व्यास, इंदिरा मोहन, संतोष माटा आदि ने भी धर्मवीरजी के चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित किए और उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि दी।